mughal empire part 2 : SSC GK History Notes: इतिहास नोट्स: मुगल साम्राज्य (भाग- II)

Mughal Empire or Mogul Empire
हम पहले ही SSC GK के मध्यकालीन इतिहास के मुग़ल साम्राज्य भाग I (जिसमे हमने बाबर से लेकर सूरी तक चर्चा की) को प्रकाशित कर चुके हैं| आज उन्ही नोट्स को आगे बढ़ाते हुए हम SSC GK इतिहास नोट्स के मुग़ल साम्राज्य भाग II (जो अकबर पर आधारित) पर चर्चा करेंगे|

 

SSC GK इतिहास स्टडी नोट्स: मुगल साम्राज्य (भाग- II) 

अकबर (1556 – 1605 ईसवी)

वर्ष

महत्‍व

1556

अकबर 14 वर्ष की आयु में सिंहासन पर बैठा।

1556

पानीपत का दूसरा युद्ध हेमू और बैरम खान (खान-ए-खानखाना) के मध्‍य हुआ था। हेमू की युद्ध में पराजय हुई।

1560

अकबर 18 वर्ष की आयु में आत्‍मनिर्भर हो गया और बैरम खान को अपदस्‍थ कर दिया

1564

जज़िया कर को समाप्‍त कर दिया गया

1571

आगरा के समीप फतेहपुर सीकरी की स्‍थापना की गई

1574

मनसबदारी प्रथा की शुरुआत की गई

1575

इबाद़त खाना का निर्माण करवाया गया

1576

हल्‍दीघाटी का युद्ध राणा प्रताप और राजा मान सिं‍ह के नेतृत्‍व में मुगल सेना के मध्‍य लड़ा गया

1580

दहशाला बंदोबस्‍त व्‍यवस्‍था की शुरुआत की गई

1582

अकबर द्वारा नए धर्म दीन-ए-इलाही की शुरुआत की गई, जो विभिन्‍न धर्मों जैसे हिंदु, मुस्लिम, जैन आदि से लिए गए कईं मूल्‍यों का संकलित रूप था। यह धार्मिक रूढिवादिता और कट्टरता को समाप्‍त करने की ओर एक कदम था। इसने ‘सुलह-कुल या सभी के लिए शांति’ की नीति को अपनाया।

  • अकबर एक अशिक्षित व्‍यक्ति था, लेकिन वह बुद्धिमान पुरुषों का संरक्षक‍ था। उसने अपने दरबार में बु‍द्धिमानों की एक सभा (नवरत्‍न) का प्रबंध किया था। इसमें निम्‍नलिखित व्‍यक्ति शामिल थे:
  • अबुल फज़ल: अकबर के दरबार के इतिहासकार जिन्‍होंने अकबर की आत्‍मकथा आइने-अकबरी और अकबर नामा की रचना की थी।
  • अबुल फैज़ी: फ़ारसी कवि और अबुल फज़ल के भाई। इन्‍होंने महाभारत का फारसी में ‘रजाम नामा’ नाम से और भाष्‍कराचार्य के गणि‍तीय ग्रंथ लीलावती का फारसी में अनुवाद किया था।
  • मियां तानसेन: इनका असली नाम राम थानु पाण्‍डे था। वह अकबर के दरबारी संगीतज्ञ थे। इन्‍होंने अकबर के सम्‍मान में राग, राजदरबारी की रचना की।
  • बीरबल: इनका असली नाम महेश दास था। यह अकबर के दरबार में सलाहकार थे।
  • राजा टोडरमल: राजा टोडरमल अकबर के वित्‍त या राजस्‍व मंत्री थे। इन्‍होंने अकबर की राजस्‍व व्‍यवस्‍था जब्‍ती और दहशाला व्‍यवस्‍था को सूत्रबद्ध किया था। राजा टोडरमल ने भी भागवतपुराण का फारसी में अनुवाद किया था।
  • महाराजा मान सिंह: अकबर के सैन्‍य कमांडर थे।
  • भगवानदास: राजा भारमल के पुत्र थे।
  • अब्‍दुर रहीम खानखाना: हिन्‍दी के कवि थे।
  • मुल्‍ला दो प्‍याज़ा

प्रशासन:

भू-राजस्‍व

  • अकबर ने वार्षिक मूल्‍यांकन प्रणाली की शुरुआत की, जिसमें भूमि का मूल्‍यांकन कानूनगो अथवा भूमि के पैतृक‍ उत्‍तराधिकारियों द्वारा किया जाता था और कर का संग्रह करोड़ी द्वारा किया जाता था।
  • 1580 में, एक नईं प्रणाली दहशाला (पिछले 10 वर्षों के मूल्‍य) की गणना की जाती थी। भूमि की माप जब्‍ती प्रणाली द्वारा किया जाता था जो दहशाला प्रणाली का सुधरा हुआ रूप था। इसे टोडरमल प्रणाली भी कहा जाता था।
  • बटाई प्रणाली में, उत्‍पादन को निश्चित अनुपातों में विभाजित किया गया था।
  • नस्‍क प्रणाली में, किसानों के पिछले दस वर्षों के भुगतानों की अनुमानित गणना की जाती थी और साम्राज्‍य का हिस्‍सा निश्चित था।
  • कृषि योग्‍य भूमियों के प्रकार
  • पोलाज – प्रत्‍येक वर्ष खेती योग्‍य भूमि
  • परती – बंजर भूमि
  • चंचड़ – 2-3 वर्षों के लिए छोड़ी गई भूमि
  • बंजर – 2-3 वर्षों से अधिक समय के लिए छोड़ी गई भूमि
  • तकावी – किसानों के लिए ऋण
  • राजस्‍व के उद्देश्‍य से भूमि का विभाजन
  • खलिसा – सम्राट के व्‍ययों को वहन करने के लिए अलग की गई भूमि
  • ज़ागीर – अमीरों या मनसबदारों को उनके व्‍ययों को वहन करने के लिए दी गई भूमि
  • इनाम – धार्मिक व्‍यक्तियों को दी गई भूमि

मनसबदारी प्रणाली: इसकी शुरुआत एक बड़ी सेना के रख-रखाव के लिए की गई थी। अमीरों को रैंक (मनसब) से सम्‍मानित किया गया। उन्‍हें जाट (व्‍यक्तिगत पद) और सवार (घुड़सवार को बनाए रखने की आवश्‍यकता थी) में विभाजित किया गया था। इसी के साथ, दाग और चेहरा प्रणाली को भी अपनाया गया। मनसबदारों को जागीरें दी गईं जिनका उपयोग वे सैनिकों को वेतन देने के लिए करते थे।

महत्‍वपूर्ण पद:

  • वज़ीर/दीवान – राजस्‍व विभाग का प्रमुख
  • सूबेदार – प्रांत का राज्‍यपाल
  • मीर बक्‍शी – सैन्‍य प्रमुख जो अमीरों का भी प्रमुख था
  • बरीद: खुफिया अधिकारी
  • वाक्‍या-नवीस – संदेश वाहक
  • मीर समन – शाही परिवारों और राजशाही कारखानों का अधिकारी
  • मुख्‍य काज़ी – न्‍याय विभागों का प्रमुख
  • मुख्‍य सदर – धर्मार्थ और धार्मिक चंदों के लिए जिम्‍मेवार
  • दीवान-ए-आम – खुला दरबार
  • गुसल खाना - निजी परामर्श कक्ष

अकबर काल का स्‍थापत्‍य :

  • इसने आगरा किला, इलाहबाद किला और आगरा के निकट फतेहपुर सीकरी का निर्माण करवाया।
  • फतेहपुर सीकरी में, अकबर ने इबादत खाना या प्रार्थना का कक्ष (हॉल ऑफ प्रेयर) का निर्माण करवाया जिसमें वह चयनित धर्मशास्त्रियों और मनीषियों को बुलाता था और उनके साथ वह धार्मिक और अध्‍यात्मिक विषयों पर चर्चा करता था।
  • 1601 में अकबर ने गुजरात पर अपनी जीत के उपलक्ष्य में फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा बनाया।
  • उसने सभी धर्मों के लोगों के लिए इबादत खाना खोला तथा धर्मों पर चर्चा में उदारवादी विचारों को ग्रहण किया। फतेहपुर सीकरी में पंचमहल बौद्ध विहारों की योजना है।

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