GK इतिहास नोट्स मुग़ल साम्राज्य भाग I
बाबर (1526-1530 ईसवी)
- भारत में मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर तैमूर के वंशज थे।
- 1517 ईसवी में इब्राहिम लोदी ने सिकन्दर लोदी को पराजित किया।
- दौलत खान लोदी और राणा सांगा के राजदूतों ने बाबर को इब्राहिम लोदी को हटाने के लिए आमंत्रित किया जिसके कारण बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच 1526 ईसवी में पानीपत का प्रथम युद्ध लड़ा गया।
- बाबर ने इस युद्ध में एक तुर्की (रुमि) हथियार का प्रयोग किया।
- इस युद्ध में बाबर ने बारूद (गनपाउडर) का भी बहुत अधिक प्रयोग किया, हालांकि भारत में बारुद का ज्ञान बाबर के आने से पूर्व से ही था ।
- खानवा का युद्ध 1527 ईसवी में बाबर और राणा सांगा के बीच लड़ा गया था। राणा सांगा की हार के साथ, गंगा के मैदानों में बाबर की स्थिति मजबूत हो गई। उसने युद्ध को ज़िहाद का नाम दिया और अपनी जीत के बाद गाज़ी की उपाधि धारण की।
साहित्य:
- बाबर ने तुज़ुक-ए-बाबरी की रचना की, जो एक प्रसिद्ध सूफ़ी रचना का मसनवी और तुर्की भाषा में अनुवाद था। तुज़ुक-ए-बाबरी का अब्दुर रहीम खानखाना द्वारा बाबरनामा के रूप में फ़ारसी भाषा में अनुवाद किया गया था।
स्थापत्य:
- बाबर ने झरने युक्त कईं औपचारिक उद्यानों का निर्माण करवाकर बागवानी की परंपरा को भी स्थापित किया।
- इसने दो मस्जिदों एक काबुलीबाग, पानीपत और दूसरी संभल, रोहिलखंड में बनवाईं।
हुमायुं (1530-1540 ईसवी तथा 1555-1556 ईसवी)
- हुमायुं 29 दिसम्बर, 1530 को 23 वर्ष की आयु में मुगल शासक बना।
- सन् 1539 में चौसा के युद्ध में हुमायुं को पहली बार शेरशाह सूरी द्वारा हराया गया था। अगले ही वर्ष, 1540 में शेरशाह ने कन्नौज के युद्ध में हुमायुं को पूरी तरह से पराजित कर दिया और सूर वंश की स्थापना की।
- 15 वर्षों तक निर्वासन में रहने के बाद, हुमायुं ने अंतिम सूर शासक सिकन्दर शाह सूरी को 1555 में सिरहिन्द के युद्ध में पराजित करके अपना साम्राज्य पुन: प्राप्त कर लिया, जिसके बाद वह केवल 6 माह तक ही शासन कर सका।
- सन् 1540 से 1555 तक के समय को मुगलों के आंशिक ग्रहण के काल के रूप में जाना जाता है।
- 24 जनवरी, 1556 को दिल्ली में पुरानाकिला में अपने पुस्तकालय ‘शेरमंडल’ की सीढ़ियों से दुर्घटनावश गिरने से हुमायुं की मृत्यु हो गई।
- हुमायुं एक विख्यात गणितज्ञ और खगोल विज्ञानी थे। उसने मुगलों के मध्य इंसान-ए-कामिल (निपुण पुरुष) की उपाधि प्राप्त की थी।
- हुमायुं के जीवन परिचय हुमायुं नामा की रचना हुमायुं की बहन गुलबदन बेगम द्वारा की गई थी। इस जीवन परिचय को लिखने के लिए उपयोग की गई भाषा तुर्की और फ़ारसी भाषा का मिश्रित रूप थी।
हुमायुं काल के दौरान स्थापत्य:-
- पुरानाकिला के निर्माण की नींव हुमायुं द्वारा रखी गई थी लेकिन इसके निर्माण को शेरशाह द्वारा पूर्ण किया गया था।
- हुमायुं का मक़बरा (दो गुबंदों वाली भारत की प्रथम इमारत) दिल्ली में स्थित है, जिसे हाजी बेगम द्वारा बनवाया गया था।
- हुमायुं के मकबरे को ताजमहल के पूर्ववर्ती के रूप में जाना जाता है, क्योंकि ताजमहल का निर्माण इसके बाद किया गया था, इसे तैमूर के घर के शयनागार के रूप में भी जाना जाता है। मिर्क मिर्जा घियास इसके वास्तुकार थे।
- 1533 में हुमायुं ने दिल्ली में दीनपनाह (विश्व पनाहगाह) शहर का निर्माण करवाया।
शेरशाह सूरी (सूर साम्राज्य)
- शेरशाह का वास्तविक नाम फरीद था। उसका परिवार अफगानिस्तान से भारत आया था।
- उसने बिहार के शासक बहार खान लोहानी के पास नौकरी से शुरूआत की, जहां से इसे एक बाघ को केवल एक वार से मारने के कारण बहार खान लोहानी द्वारा शेर खान की उपाधि प्राप्त हुई।
- सन् 1539 में चौसा के युद्ध में, शेर खान ने पहली बार हुमायुं को पराजित किया और शेरशाह की उपाधि धारण की।
- बाद में सन् 1540 में शेरशाह ने कन्नौज के युद्ध में हुमायुं को पूरी तरह से पराजित कर दिया और सूर साम्राज्य की स्थापना की।
स्थापत्य:
- शेरशाह ने सोहारगांव से अटक (कलकत्ता से अमृतसर) तक ग्रांड ट्रंक रोड़ का निर्माण करवाया था। शेरशाह ने भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय राजमार्ग की अवधारणा प्रस्तुत की। आज ग्रांड ट्रंक रोड़ को शेरशाह सूरी मार्ग के नाम से जाना जाता है। इसके दिल्ली से अमृतसर तक के भाग को राष्ट्रीय राजमार्ग-1 कहा जाता है।
- इसने दिल्ली में पुराना किला (इसके निर्माण की शुरुआत हुमायुं द्वारा की गई थी) का निर्माण करवाया और इसने बिहार के सासाराम में अपने मकबरे का निर्माण भी करवाया।
- इसने दिल्ली में फिरोजशाह कोटला के दरवाजे जिसका नाम खूनी दरवाजा (रक्त से सना हुआ दरवाजा) है, का भी निर्माण करवाया।
अर्थव्यवस्था और प्रशासन:
1) वह चांदी के रुपये (एक रुपये की कीमत 64 दाम के बराबर थी) और सोने के सिक्के (अशरफी) की शुरुआत करने वाला प्रथम शासक था।
2) इसने मानक भार और मापन भी तय किए, बेहतरीन प्रशासन और भूमि राजस्व नीति की शुरुआत की।
3) प्रशासनिक विभाजन:
- इक्ता – हक़िम या अमीन के तहत प्रांत
- सरकार – शिकदार-ए-शिकदारन या मुंसिफ-ए-मुंसिफान के तहत जिले
- परगना – शिकदार या मुंसिफ के अंतर्गत तालुक
- ग्राम – मुक्कदम या आमिल के अंतर्गत गांव
4) इसकी राजस्व प्रणाली उत्कृष्ट थी और इसलिए अकबर के प्रशासनिक सुधर इन्हीं पे आधारित थे। भूमि की माप ली गई और 1/3 भाग को भूमि कर के रूप में निर्धारित कर दिया गया। किसानों को पट्टा (शीर्षक विलेख) और कबूलियत (विलेख या अनुबंध) पर जमीन दी गई। ज़मीदारी व्यवस्था हटा दी गई और करों को सीधा एकत्र किया जाने लगा।
5) इसने स्थानीय अपराधों के लिए स्थानीय मुकद्दम /ज़मीदारों को जिम्मेवार बनाया।
6) हिन्दी के कवि मलिक मुहम्मद जायसी ने इसके शासनकाल में अपनी पद्मावत को पूरा किया था।
0 Comments